पन्ना में डैम की मिट्टी में हीरा ढूंढने भीड़ उमड़ी:रुंझ नदी में हीरे के लिए यूपी से भी आ रहे लोग, तीन से चार फीट के गड्ढे किए

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  • पन्ना जिले की रुंझ नदी। यहां हीरा तलाशने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। आसपास के जिलों के ही नहीं, उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां अपनी किस्मत आजमाने पहुंच रहे हैं। मिट्टी में हीरे की तलाश कर रहे हैं। हीरा तलाशने वालों ने यहां तीन से चार फीट तक के गड्ढे कर दिए हैं।
    अजयगढ़ जनपद में विश्रामगंज घाटी के नीचे रुंझ नदी में इन दिनों डैम का निर्माण चल रहा है। जहां से भारी मात्रा में मिट्टी खोदी गई है। कुछ दिन पहले हुई बारिश में पहाड़ी क्षेत्र से मिट्टी बहकर आई है। नदी में ज्यादा पानी नहीं है। ऐसे में यहां हीरे मिलने की संभावना बढ़ गई है। सुबह से शाम तक नदी में लोगों का हुजूम लगा रहता है। तसला, छलनी, फावड़ा लेकर लोग खुदाई करते मिल जाते हैं।30 लोग पकड़े, 12 बाइक जब्त की
    विश्रामगंज रेंज की टीम मंगलवार को यहां पहुंची थी। वन अमले को देखते ही यहां अवैध तरीके से नदी में हीरा तलाश रहे लोगों में भगदड़ मच गई। रेंजर जेपी मिश्रा ने बताया कि मौके से 30 लोगों को पकड़ा था। इनकी 12 बाइक जब्त की। चालानी कार्रवाई के बाद सभी को छोड़ दिया। जब्त बाइक डिवीजन कार्यालय में रखवाई हैं।

    हीरा व्यापारियों के दलाल भी सक्रिय
    रुंझ नदी में अवैध रूप से हीरा खोदने की जानकारी लगते ही हीरा व्यापारियों के दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। वे नदी किनारे हीरा तलाशने में लगे लोगों पर नजर रख रह हैं। हीरा मिलने पर ये लोग व्यापारियों से डीलिंग कराते हैं। दोनों ओर से अपना कमीशन ले लेते हैं। लोगों का दावा है कि कुछ को यहां से हीरे मिले हैं। हालांकि अभी किसी को हीरा मिलने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

    ऐसे निकलता है हीरा
    फॉर्म वगैरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हीरा कार्यालय 8 बाई 8 मीटर का पट्‌टा जारी करता है। इसके बाद ठेकेदार खुद या लेबर लगाकर हीरे को खोज सकता है। हीरा पट्टा खदान में तैनात सिद्धी लाल सिपाही ने बताया, मिट्‌टी को छांटकर बाहर फेंक दिया जाता है। पथरीली मिट्‌टी को पानी में धोते हैं। इसके बाद सुखाकर इसकी छनाई की जाती है। उसी में से हीरे निकलते हैं जो कि किस्मत और मेहनत का खेल है।

    12% राजस्व काटती है सरकार
    हीरा मिलने पर इसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है। वहां से बाकायदा नीलामी की प्रक्रिया होती है, जिसमें देश के बड़े कारोबारी भाग लेते हैं। वे दाम लगाते हैं। जो दाम तय होता है, उसमें से 12% राशि राजस्व सरकार काट लेती है। बची हुई रकम हीरा ढूंढने वाले को दे दी जाती है। काटी जाने वाली राशि में 11% रॉयल्टी और 1% TDS होता है। नीलामी की प्रक्रिया हर तीन महीने में एक बार व साल में चार बार कराई जाती है। इसके लिए अखबारों में बाकायदा विज्ञापन जारी होता है।
    न्यूज़ सोर्स दैनिक भास्कर

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