Advertisement

Wheat Farming Tips: रिकॉर्ड तोड़ देगी गेहूं की फसल, बस इस तरह से करें देखभाल

Wheat Farming Tips:
Wheat Farming Tips

Wheat Farming Tips: रबी सीजन चल रहा है और देश में अधिकांश किसानों ने गेहूं की फसलों को लगाया है। कई किसान रबी की फसलों में गेहूं का लगाते तो करते हैं, लेकिन उन्हें बेहतर उत्पादन प्राप्त नहीं हो पाता। इसके लिए वह कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ गलतियां कर बैठते हैं। इसका सीधा असर किसने की फसलों पर पड़ता है। एक्सपर्ट ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं, जिससे गेहूं का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। हम उन तरीकों के बारे में विस्तार से बताएंगे…

दिसंबर में बोवनी करने वाले किसान के लिए जरूरी बात ( Wheat Farming Tips )

वैसे गेहूं की फसल की बुवाई का मुख्य समय नवंबर माह होता है। 25 नवंबर के पहले बुवाई करने से फसल का अच्छा उत्पादन मिलता है, क्योंकि फसलों का विकास सही तरीके से हो पता है। कुछ किसान ऐसे भी होते हैं जो दिसंबर और जनवरी में गेहूं की बुवाई करते हैं। इन किसानों को अपनी फसलों का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है, जिससे इनका उत्पादन प्रभावित न हो और किसानों को नुकसान ना हो मुनाफे के लिए किसान अलग-अलग तरीके अपनाते हैं।

सिंचाई का महत्व

गेहूं लगाने वाले किसानों के लिए पहले सच्चाई का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। किसानों को पहली सिंचाई 21 से 25 दिनों के भीतर कर लेनी चाहिए। इससे फसल में बालियां निकलना शुरू हो जाती है। यदि सिंचाई में देर होती है तो फसल की ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

संतुलित मात्रा में करें उर्वरकों का उपयोग

किसी भी फसल के बेहतरीन उत्पादन के लिए उर्वरक सबसे ज्यादा जरूरी होता है। सही मात्रा में उर्वरक का उपयोग न करने पर फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। गेहूं की फसल में सिंचाई के एक सप्ताह में खेत में नाइट्रोजन का प्रयोग करना चाहिए। विशेषज्ञ द्वारा बताई गई मात्रा में ही यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। नाइट्रोजन के उपयोग से फसल से बलिया तेजी से आती है और पौधे मजबूत होते हैं। हालांकि उर्वरकों से मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण ही किसानों को उर्वरक का उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए, ताकि उर्वरक की मात्रा ज्यादा ना हो और यह फसल का संतुलन बनाए रखने में मदद करें।

बता दें कि बुवाई से 25 दिन बाद प्रति एकड़ के हिसाब से 40 किलो यूरिया का उपयोग करना चाहिए। इस तरह से यूरिया का उपयोग करने पर पौधों की पत्तियां, तने बेहतर रूप से विकसित होते हैं। सही मात्रा में उपयोग किए गए यूरिया से पौधे हरे भरे बनते हैं। यदि यूरिया का उपयोग कम या ज्यादा किया जाए तो फसल को नुकसान हो सकता है। इसके लिए ध्यान रखें कि गेहूं की फसल के विकास के लिए यूरिया के साथ अन्य उर्वरकों का भी प्रयोग करें।

खरपतवार से बचाव भी जरूरी
अक्सर देखने में आता है कि खरपतवार फसल की वृद्धि रोक देती है। इससे फसल के पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं और उपज कम हो जाती है। गेहूं की फसल में कई तरह के खरपतवार होते हैं। उनके नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह के प्रभावी खरपतवार नाशक मिलते हैं। सही समय पर खरपतवार को हटाने से फसल का बेहतर विकास हो पता है और उत्पादन भी बढ़ता है। किसान अपनी फसल के आधार पर ही खरपतवार नाशक का चयन करें और सही मात्रा में उपयोग करें। निराई गुड़ाई की प्रक्रिया फसल उगने के 1 महीने बाद करनी चाहिए।

Also Read:MP Today News: प्राइवेट स्कूलों के लिए बनाए गए फीस एक्ट में बदलाव, विधानसभा में किया बिल पेश

पौधों का संरक्षण जरूरी

गेहूं की फसल रोग और किट से काफी ज्यादा प्रभावित होती है। इसके लिए रोग और किट का प्रबंध करना बहुत जरूरी होता है। रोगों की रोकथाम के लिए फसल चक्र का पालन करना चाहिए और साथ ही किसानों को प्रमाणित बीजों का उपयोग ही करना चाहिए। फसल संरक्षित करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेकर कीटनाशक और फफूंद नाशक का छिड़काव कर सकते हैं। बेहतरीन उत्पादन के लिए किसानों को नियमित रूप से निगरानी रखनी होती है और समय पर उपज का उपचार करना होता है।

Also Read:MP news: नए साल में मध्यप्रदेश में घर खरीदना होगा मुश्किल, इन शहरों के जमीन के कीमतों में होगा बंपर उछाल, देखिए अपडेट

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button