ट्रेन यात्रियों को राहत: भाेपाल से गुजरने वाली 47 ट्रेनों का स्पेशल दर्जा खत्म, 30% सस्ता हाेगा रेल सफर

भोपाल– अब सभी ट्रेनों का स्पेशल का दर्जा खत्म करने और नियमित नंबरों से उन्हें चलाने की घोषणा से यात्रियों का 30 फीसदी किराया बचेगा। अभी भोपाल स्टेशन से चलने व गुजरने वालीं 47 स्पेशल ट्रेनों में करीब 15 हजार यात्री आवागमन करते हैं। इतना ही नहीं, भोपाल स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या भी 132 से बढ़कर साप्ताहिक सहित 167 हो जाएगी। वहीं, वर्तमान में होशंगाबाद-हरदा-इटारसी, सीहोर-शुजालपुर-शाजापुर और औबेदुल्लागंज-मंडीदीप और विदिशा-बीना तरफ से आवागमन करने वाले 38 हजार यात्रियों के अब हर महीने करीब 76 लाख रुपए बचेंगे।

30% तक ज्यादा देना पड़ रहा था किराया

कोरोनाकाल के चलते रोज कई स्थानों के लिए चल रहीं छत्तीसगढ़, हमसफर सहित 47 स्पेशल ट्रेनों में 15 हजार से ज्यादा यात्रियों को नॉर्मल किराए की तुलना में 30 फीसदी तक ज्यादा किराया चुकाना पड़ रहा था। प्रति यात्री यह राशि मोटे तौर पर 11 से 12 लाख रुपए अतिरिक्त देना पड़ रही थी, लेकिन अब सभी ट्रेनों का स्पेशल का दर्जा खत्म करने और नियमित नंबरों से चलाने की घोषणा के बाद इतना पैसा यात्रियों का बचने लगेगा। साथ ही विभिन्न स्थानों से भोपाल आवागमन करने वाले विशेष रूप से मंडीदीप, बरखेड़ा, औबेदुल्लागंज, मिसरोद जैसे छोटे स्टेशनों पर भी पहले की तरह नियमित ट्रेनें रुकने से वहां से आने-जाने वाले यात्रियों के भी हर महीने लाखों रुपए बच सकेंगे।

पैसेंजर, मेमू जैसी ट्रेनें भी चलने लगेंगी

  • वर्तमान में भोपाल रेलवे स्टेशन से 35 हजार और रानी कमलापति स्टेशन से 11 हजार यात्री सफर कर रहे हैं।
  • अगले महीने तक भोपाल स्टेशन पर यात्री संख्या 45 से 50 हजार और रानी कमलापति पर 15 से 20 हजार तक पर पहुंच जाएगी।
  • रेल मंडल से शुरू होने वाली बची हुई पैसेंजर, मेमू और अन्य ट्रेनें भी चलने लगेंगी। इनकी संख्या करीब 18 है।
  • रोजाना आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या भी 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाएगी।
  • इसके बाद रेलवे की आय में भी 20 से 25 फीसदी तक का इजाफा होने लगेगा।

यात्रियों को मिलेगा फायदा… ट्रेनें बढ़ेंगी, टिकट कम होगा

रेल मंत्रालय ने कोरोनाकाल के पहले चल रही सभी ट्रेनों को बहाल कर दिया है। अब इसका सीधे तौर पर यात्रियों को आर्थिक के साथ ही विभिन्न स्थानों पर आवागमन की सुविधा के रूप में फायदा मिलने लगेगा।
– सौरभ बंदोपाध्याय. डीआरएम

(न्यूज सोर्स भास्कर)

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