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MP के 8 जिलों में लंपी वायरस…मवेशी तड़प-तड़पकर मर रहे:किसान बोले- गायों को देख कलेजा कांप जाता है

  • गुजरात, राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश के 8 जिलों में लंपी वायरस फैल चुका है। अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, उज्जैन और बुरहानपुर में पशु चिकित्सा विभाग को​ अ​​​​​​लर्ट पर रखा गया है। पशुपालन विभाग ने प्रदेश में राजस्थान और गुजरात से आने वाले मवेशियों की एंट्री पर रोक लगा दी है।
    यह वायरस इतना खतरनाक है कि मवेशी तड़प-तड़पकर दम तोड़ रहे हैं। प्रदेश में अब तक तीन जिलों में ऐसे लक्षण वाले 13 मवेशियों की मौत हो चुकी है। आधिकारिक रूप से तो 11 गांव के 73 पशुओं में लक्षण दिखने की बात कही गई है। दैनिक भास्कर की टीम इन गांवों की हकीकत जानने निकली…

    रतलाम का सेमलिया गांव… 10 गायों ने तड़पकर दम तोड़ा

    रतलाम जिले से 22 किमी दूर भास्कर की टीम लंपी वायरस से प्रभावित गांव सेमलिया पहुंची। गली में घुसते ही पेड़ से बंधे मवेशी दिखे, इनमें से कुछ गायों के शरीर पर गठानें नजर आईं। यह देख हम ठहर गए और गायों के नजदीक पहुंचे। पास ही महेश पटेल खड़े थे, हमने पूछा- वायरस को लेकर गांव में क्या हालात हैं। वे तपाक से बोले- पूछिए मत… मेरा काम जेसीबी का है। तीन-चार दिनों में ऐसे लक्षण वाली 10 गायों को मैं दफना चुका हूं…। हालांकि गांव में कैंप कर रहे पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की हैं।

    8 दिन पहले यहां गायों में वायरस के लक्षण दिखाई दिए थे। सैंपल भोपाल भेजे गए तो पता चला हमारे कई पशुओं के शरीर में वायरस प्रवेश कर चुका है। गांव के हर दूसरे-तीसरे पशुपालक के मवेशी इसकी चपेट में हैं। पूरे गांव की बात करें तो 100 से अधिक गायें बीमार हैं। इनमें वायरस के लक्षण दिखाई दिए थे। सेमलिया गांव रतलाम जिले का मुख्य दुग्ध उत्पादक गांव है। जहां की 80% आबादी पशुपालन और खेती पर निर्भर है। 15-20 दिनों से वायरस की वजह से पशु हानि तो हो ही रही है, दूध उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
    गायें मर रहीं, आमदनी प्रभावित
    गांव की पशुपालक श्यामा बाई बताती हैं कि पति की मौत के बाद 2 गाय ही पेट पालने का जरिया थीं। इनमें से एक दुधारू गाय में लक्षण दिखे और उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। पशुपालक मोहनलाल का दर्द भी कुछ ऐसा ही है। उनके पास एकमात्र दुधारू गाय थी, जिसे वायरस ने छीन लिया। ऐसी स्थिति में अब रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। यहां अभी तक पशु खेत या घर पर ही शेड में रह रहे थे। अब लक्षण दिखने वाले पशुओं को पशु चिकित्सा विभाग दूर रखने की एडवाइजरी तो जारी कर चुका है, लेकिन यहां आइसोलेट करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में स्वस्थ पशु भी इसकी चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं।

    जमीन पर लेटी रहती है गाय, पूरा शरीर जख्मी
    किसान विजय सोलंकी बताते हैं कि मेरे पास तीन गायें हैं, जिसमें से दो गायों की हालत गंभीर है। 10 दिन हो गए, ये चल नहीं पा रही हैं। जमीन पर एक जगह पड़ी रहती हैं। उन्हें देखकर बहुत दुख होता है। वो कुछ खा नहीं रही हैं, सिर्फ पानी पी रही हैं। मुंह से लेकर शरीर का हर हिस्सा जख्मी हो चुका है। गांव में 100 से 200 गायों की हालत ऐसी ही है। 8 दिनों में कई गायों ने दम तोड़ दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दवाइयां दी हैं।
    न्यूज़ सोर्स दैनिक भास्कर

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