उद्धव के हाथ से तीर कमान छूटना तय:शिंदे गुट के साथ आए 12 सांसद, 5 सवालों में समझिए चुनाव आयोग कैसे करेगा फैसला

इससे पहले 40 विधायक, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संगठन से जुड़े ज्यादातर शिवसैनिक शिंदे के साथ आ चुके हैं। कुल मिलाकर उद्धव के हाथ से शिवसेना का तीर कमान फिसलना तकरीबन तय माना जा रहा है। हालांकि, आखिरी फैसला चुनाव आयोग को करना है।
सवाल 1: महाराष्ट्र में शिंदे के CM बनने के बाद शिवसेना के उद्धव गुट और शिंदे गुट के समीकरण में क्या बदलाव आया है?
विधायक : 2019 में शिवसेना के कुल 56 विधायक थे। इनमें से 1 की मौत हो चुकी है। यानी यह संख्या अब 55 है। 4 जुलाई को हुए फ्लोर टेस्ट में शिंदे गुट के पक्ष में 40 विधायकों ने वोट किया था।
संगठन : 7 जुलाई को ठाणे जिले के 67 कॉर्पोरेटर में से 66 शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। देखा जाए तो BMC के बाद ठाणे सबसे बड़ी म्युनिसिपल कार्पोरेशन है। इसके बाद डोंबिवली महानगरपालिका के 55 कॉर्पोरेटर उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे के साथ मिल गए हैं। वहीं नवी मुंबई के 32 कॉर्पोरेटर भी शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।
इसके साथ ही शिंदे गुट ने 18 जुलाई को पार्टी की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया नेता चुन गया है। खास बात यह है कि शिवसेना ने पार्टी प्रमुख के पद को नहीं हटाया है। यानी उद्धव ठाकरे का पद जस का तस रखा गया है।
सांसद : शिवसेना के कुल 19 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद हैं। इनमें से 12 लोकसभा सांसदों की शिंदे गुट ने मंगलवार, यानी 19 जुलाई को लोकसभा स्पीकर के सामने परेड करवाई है। इसके साथ ही शिंदे गुट का दावा है कि 19 सांसदों में से 18 हमारे साथ हैं। स्पीकर ओम बिड़ला ने भी बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे समर्थक सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है। वहीं भावना गवली को शिवसेना की चीफ व्हिप के तौर पर बरकरार रखा गया है।
राष्ट्रपति चुनाव : उद्धव ठाकरे की शिवसेना का गठबंधन भले ही अभी कांग्रेस और NCP के साथ बरकरार है, लेकिन 18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनावों में शिवसेना के सभी 22 सांसदों ने BJP उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया।
न्यूज़ सोर्स दैनिक भास्कर