आलोचना और अभद्रता सहकर भी करते है सेवा- डॉ बारंगा

ज्ञानू लोखंडे
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में हर दिन डॉक्टर हो या नर्स उन्हें आलोचनाओं से दो चार होना ही पड़ता है। यदि नर्स 99 अच्छे कार्य करें और एक काम बिगड़ जाए तो उसके 99 अच्छे कार्यों को भुला दिया जाता है। यह अकेले नर्स के साथ ही नहीं डॉक्टर एवं अन्य फिल्ड के लोगों के साथ भी होता है। उन्होंने कहा कि नर्स को उनके कार्यों के बारे में बताना सूरज को दिया दिखाने जैसा है। दुनियां का कोई भी अस्पताल बिना नर्स के नहीं चल सकता। इस अवसर पर डॉ रानू वर्मा ने कहा कि नर्स सेवा का पर्याय है। जिला अस्पताल लंबे समय से मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा है, लेकिन फिर भी नर्सेस ने कभी काम को लेकर कोताही नहीं की। मुश्किल वक्त में अधिक समय भी काम करना पड़ा तो उन्होने समर्पित भाव से मरीजों की सेवा की है।

कई बार हो जाते है मायूस
जिला अस्पताल की मेट्रन अनुराधा रघु ने बताया कि कई बार ऐसे भी मौके आते है जब मरीजों की सेवा करने के बाद भी अपमान मिलता है, परिजन अभद्रता करते है, फिर भी नर्स सब सहकर सेवा करती है। ऐसी परिस्थिति में मायूस भी हो जाते है, लेकिन फिर से अपने कर्तव्य में जुट जाते है। बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की वरिष्ठ सदस्य संगीता अवस्थी ने कहा कि महिलाओं में सहनशीलता अधिक होती है इसलिए परिचारिका की भूमिका में खरी उतरती है। महिलाएं सृजनकर्ता है, सृजन में पीड़ा होती है उसे महिला सहन कर सकती है तो फिर समाज की दूसरी पीड़ा उसके लिए बहुत छोटी होती है। नर्सेस को हर तरह की बाते सहन करती है। अस्पताल में आने वाला मरीज और परिजन परेशान होते है, मानसिक, आर्थिक शारीरिक रुप से परेशान होता है ऐसे में कई बार नर्सेस के साथ भी अभद्रता कर देते है, लेकिन हर बात को नर्स सहने के बाद भी सेवा करती है। ऑटो एम्बुलेन्स योजना की संचालक गौरी पदम ने कहा हर व्यक्ति को अपने लिए भी थोड़ा सा वक्त निकालना चाहिए। हम सब मशीनों की तरह हो गए है। मन में यदि कुछ करने की इच्छा है तो थोड़ा वक्त अपने लिए निकालकर अपने मन की इच्छाओं को मारने की बजाय उसे पूरा करने की कोशिश करें। उपाध्यक्ष नीलम वागद्रे ने कोराना काल में की गई सेवाओं के लिए नर्सेस की सराहना की।