44 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र​​​​​​​ और 446 प्राथमिक अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, बैतूल के 20 सीएचसी केंद्रों में डॉक्टर नही

  • भोपाल – मध्यप्रदेश के तहसील और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल की कमी से जूझ रहे हैं। हालत ये है कि प्रदेश के 44 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 446 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं हैं। इस कारण यहां कोई इलाज कराने नहीं जाता। इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। इसका बोझ जिला अस्पतालाें और संभाग स्तर के बड़े अस्पतालों पर पड़ रहा है। इससे लोगों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता।

    स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो गांवों में पोस्टिंग के बाद से ही डॉक्टर पारिवारिक कारणों, पति-पत्नी की दूर पोस्टिंग, परिजनों की गंभीर बीमारी, माता-पिता बुजुर्ग होने जैसे कारणों का हवाला देकर अपने गृह क्षेत्र या बड़े शहरों में तैनाती कराने में जुट जाते हैं। विधायकों से लेकर मंत्रियों और अफसरों की सिफारिश से कई डॉक्टर पोस्टिंग परिवर्तन कराने में कामयाब हो जाते हैं। इस कारण गांवों के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का संकट दूर नहीं हो पा रही।

    मंत्रियों, विधायकों के गांव में ही डॉक्टर विहीन अस्पताल

    स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के शाजापुर जिले में स्थित गृहग्राम पोचानेर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में में डॉक्टर नहीं हैं। पूर्व मंत्री और सीधी जिले की सिंहावल से कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल के गांव सुपेला की पीएचसी में डॉक्टर नहीं हैं। छतरपुर जिले के पूर्व मंत्री मानवेन्द्र सिंह के गांव अलीपुरा के पीएचसी में डॉक्टर नहीं हैं।
    इन PHC में एक भी डॉक्टर नहीं

    स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में 44 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (CHC) डॉक्टर विहीन हैं। छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा 39 पीएचसी डॉक्टर विहीन हैं। ​​​​सतना, मंदसौर, बालाघाट के 25, बैतूल में 20, सीधी में 17, डिंडौरी, सिवनी में 15, खरगोन में 14, ​​​​​​​छतरपुर में 13, भिंड, टीकमगढ़, शहडोल, खंडवा,राजगढ़, मंडला में 11, ​​​​​​​कटनी, पन्ना, सागर, सिंगरौली, उमरिया में 10, ​​​​​​​रीवा में 9, जबलपुर, नरसिंहपुर, नीमच,रतलाम, उज्जैन में 8, ​​​​​​बुरहानपुर , अनूपपुर में 7,​​​​​​​देवास,रायसेन, विदिशा में 6, धार में 5,​​​​​​​ अलीराजपुर में 4,गुना, अशोक नगर, होशंगाबाद, शिवपुरी में तीन, ​​​​​​​मुरैना, दमोह,दतिया, बड़वानी, इंदौर, शाजापुर में दो-दो और ग्वालियर, आगर मालवा, हरदा, सीहोर, श्योपुर में एक-एक पीएचसी डॉक्टर विहीन है।

    इन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नहीं

    जिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नहीं है उनमें अलीराजपुर जिले की सोंडवा, अनूपपुर की करपा, अशोकनगर की ईसागढ़, बालाघाट की किरणापुर, परसवाड़ा, बड़वानी की सिलावद, भिंड की अटेर और फूप, बुरहानपुर की खकनार, नेपानगर, शाहपुर, छतरपुर जिले की (गौरिहार) बारीगढ़] घुवारा, किशनगढ़, छिंदवाड़ा की धनोरा, हर्रई, जमाई (जुन्नारदेव), दमोह जिले की पथरिया, दतिया की बरौनी, डिंडोरी की मेंहदवानी, गुना की कुंभराज, कटनी की बहोरीबंद, खरगोन की गोगावा, मंडला की मवई, मंदसौर की नारायणगढ़, नीमच की सिंगोली, रायसेन की उदयपुरा, राजगढ़ की सुठालिया, रतलाम की पिपलोदा, सैलाना, सागर की देवरी, राहतगढ़, सतना में देवराजनगर, शहडोल में बनसकुली, झिकबिजुरी, शाजापुर की मोमन बडोदिया, सीधी की कुसमी, मझौली,सेमरिया सिंगरौली में बैढ़न, देवसर, टीकमगढ़ में खरगापुर, उमरिया में मानपुर, विदिशा जिले के त्योंदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं है।
    (न्यूज सोर्स दैनिक भास्कर)

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