जिले के आधा सैकड़ा गांव में फैल गया लंपी वायरस, देखिये गावों की सूची

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  • बैतूल,लम्पी स्किन डिसीज पशुओं की एक वायरल बीमारी है। यह रोग मच्छर, मक्खी, किलनी, गाचड़ी, जुएं आदि के काटने से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलती है। इस रोग में प्रारंभ में दो से तीन दिन हल्का बुखार रहता है, जिसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में गठानें (2-3 सेमी) निकल आती है। इस बीमारी के लक्षण ही लिंक नोड में सूजन, पैरों में सूजन, दूध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
    उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. विजय पाटिल ने बताया कि इस रोग से सुरक्षा एवं बचाव में संक्रमित पशु को अन्य स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इसके अलावा संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाली वेक्टर (मच्छर, मक्खी) आदि की रोकथाम हेतु एवं साफ सफाई के लिए जीवाणु व विषाणुनाशक रसायन (जैसे 20 प्रतिशत ईथर क्लोरोफार्म, सोडियम, हाईपोक्लोराइड 30 प्रतिशत, फिनाइल 02 प्रतिशत) आदि से छिडक़ाव करना चाहिए।
    उक्त स्कीन डिसीज को पशुओं में फैलाने से रोकने हेतु बैतूल जिले में पशुओं के परिवहन, पशु मेला एवं पशु हाट बाजारों, पशुपालकों द्वारा पशुओं को जंगलों, सार्वजनिक स्थलों पर चराई हेतु एवं सार्वजनिक जलाशयों से पानी पीने के लिए छोडऩे पर तथा अन्य जिलों/राज्यों से जिला क्षेत्र में पशुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया है।
    जिले के भैंसदेही विकासखंड के बर्रा, सायगोहान, पारडी, चिचोलीढाना, मासोद, बरहापुर, सरांडी, आमला, पोहर, सिहार, कौड़ी, कोयलारी, कालडोंगरी, बालनेर, सर्रई, बोरखेड़ी, पुरानी काटोल, जामुलनी, पाटोली, घोतराढाना, ऐडापुर, कोथलकुंड, खरगढ़माल, पिपलनाकलां, पाटाखेड़ा, खोमई, निम्बोरी, डेडवाकुंड, सांवलमेंढा, जूनापानी, माथनी, धायवानी, झल्लार, खोदरी, बांसनेरकलां, मालेगांव, आठनेर विकासखंड का ग्राम बोथी एवं भीमपुर विकासखंड के दामजीपुरा, गदाखार, कुटंगा, बेला एवं काजरी ग्रामों में लंपी स्किन रोग से ग्रसित पशु पाए गए हैं।

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