Narmada Ulti Kyu Behti Hai: उलटी क्यों बहती हैं नर्मदा नदी, प्रेम में मिला धोखा तो माँ नर्मदा ने बदल दी अपनी दिशा, जानिए पूरी कहानी
Narmada Ulti Kyu Behti Hai: भारत में कई नदियां हैं और नदियों को लोग धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारे देश में एक ऐसी नदी है जो उलटी दिशा में बहती है और यह नदी पूरब से पश्चिम नहीं बल्कि पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती है। इस नदी का नाम नर्मदा नदी है।
नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ भी कहते हैं। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती मनाई जाती है, जो कि आज यानी 4 फरवरी को मनाई जा रही है. नर्मदा जयंती के मौके पर आपको बताते हैं कि आखिर नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है।
इन पुराणों में मिलता है नर्मदा का वर्णन ( Narmada Ulti Kyu Behti Hai )
रामायण और महाभारत जैसे पवित्र ग में भी नर्मदा का जिक्र किया गया है। नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक को कहा जाता है और नर्मदा नदी के दोनों किनारो पर कई देवस्थान भी स्थित है। नर्मदा नदी की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई है इसलिए इस नदी को भगवान शिव की पुत्री भी कहा जाता है। इस नदी के किनारे मिलने वाले सभी पत्थर शिवलिंग के समान होते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान भोलेनाथ मैकल पर्वत पर तपस्या में लीन थे।इस दौरान देवताओं ने उनकी आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया। शिवजी की तपस्या के दौरान उनके शरीर से कुछ पसीने की बूंदें गिरीं, जिससे एक सरोवर की उत्पत्ति हुई। इसी सरोवर से एक द्वितीय सौंदर्य कन्या प्रकट हुई। इस कन्या का सौंदर्य देख देवताओं ने उसका नाम ‘नर्मदा’ रखा।
नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है इसका क्या कारण है?
नर्मदा उल्टी क्यों बहती है, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा मिलती है. इस पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा राजा मेकल की पुत्री थीं।जब नर्मदा विवाह योग्य हो गईं, तो राजा मेकल ने ऐलान किया की कि जो गुलबकावली का फूल लेकर आएगा, वह उनकी बेटी नर्मदा से विवाह करेगा। इस चुनौती को राजकुमार सोनभद्र ने पूरा किया और इसके बाद इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र की शादी तय हुई गई।
एक दिन नर्मदा ने राजकुमार को देखने की इच्छा व्यक्त की और नर्मदा ने इसके लिए अपनी सहेली जोहिला को सोनभद्र के पास संदेश लेकर भेजा।जब सोनभद्र ने जोहिला को देखा, तो उन्हें नर्मदा समझकर प्रेम प्रस्ताव रखा. जोहिला यह प्रस्ताव ठुकरा नहीं पाई और सोनभद्र से प्रेम करने लगीं।
जब नर्मदा को इस बात का पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया। उसी समय से नाराज होकर नर्मदा विपरीत दिशा में बहने लगीं और अरब सागर में जाकर मिल गईं. तब से ही नर्मदा नदी को एक कुंवारी नदी के रूप में पूजा जाता है. नर्मदा नदी के हर कंकड़ को नर्वदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।